जला रहे कागज़ के पुतले
रावण अब भी जिंदा है।
राम बने मिटटी के माधो
रामायण शर्मिंदा है ।।
उलट फेर के इस युग में
ahsaas samandar apnaa है ।
आंखों का पानी सूखा है
जीवन soona sapnaa है ।।
फिर हम क्यूँ माने किसी की बात!
1 week ago
CLARION CALL
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